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राजकीय उरà¥à¤¦à¥‚ मधà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ सकरी गली, गà¥à¤²à¤œà¤¾à¤°à¤¬à¤¾à¤—, पटना-7 में आज शेरशाह सूरी की 477 वीं पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ के अवसर पर विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के शिकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€ मो० मोअजà¥à¤¼à¤œà¤¼à¤® आरिफ ने शेरशाह सूरी कि गणना मधà¥à¤¯à¤•ालीन à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤¶à¤¾à¤²à¥€, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨, विजेता, योदà¥à¤§à¤¾, कà¥à¤¶à¤² पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤•, राजà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾, धरà¥à¤® परायण, धारà¥à¤®à¤¿à¤• सहिषà¥à¤£à¥, कला à¤à¤µà¤‚ साहितà¥à¤¯ के संरकà¥à¤·à¤•, अदमà¥à¤¯ वीर, कूटनीतिजà¥à¤ž, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤¿à¤¯, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के जनक, महान शासक के रूप में की।
शà¥à¤°à¥€ आरिफ ने बताया कि शेरशाह सूरी à¤à¤• सामानà¥à¤¯ परिवार के होते हà¥à¤ à¤à¥€ अपने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के बल पर इतिहास के à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शासक बने। शेरशाह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जन कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में किठगठचौमà¥à¤–ी विकास के कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विकास पà¥à¤¤à¥à¤° नहीं बलà¥à¤•ि विकास पितामह कहना उचित होगा। इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ महज 5 साल की हà¥à¤•ूमत में अनेकों जन कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के कारà¥à¤¯ किठगà¤à¥¤ शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ साहितà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ शेरशाह ने शिकà¥à¤·à¤¾ की समà¥à¤šà¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की थी। गरीब विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने के लिठछातà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कराई जाती थी। शेरशाह ने साहितà¥à¤¯à¤•ारों à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सहायता à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की थी। शेरशाह सूरी को धरà¥à¤® सहिषà¥à¤£à¥ सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ कहा जाता है। शेरशाह हिंदà¥à¤“ं और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤• समान दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखते थे। à¤à¥‚ राजसà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤§à¤¾à¤° किà¤à¥¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° वाणिजà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ दिया à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ को वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ किया। वह नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पर अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• बल देते थे। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समानता का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त अपनाया था। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤œà¤¾ को à¤à¤• समान समà¤à¤¾à¥¤ शेरशाह के समय की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला का सबसे सà¥à¤‚दर नमूना उनका सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का सासाराम का मकबरा है। विकास कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° का खातà¥à¤®à¤¾ करने, सड़कों का जाल बिछाने, जी० टी० रोड का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने, à¤à¥‚मि à¤à¤µà¤‚ राजसà¥à¤µ में सà¥à¤§à¤¾à¤° करने, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤šà¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को ठीक करने, डाक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को सà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ करने आदि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में किठगठअदà¥à¤à¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण शेरशाह सूरी इतिहास में अमर हो गठहैं।
शà¥à¤°à¥€ आरिफ ने अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤°à¤¤ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को बताय कि गरीब, असहाय, निसहाय, जरूरतमंदों को सहायता देने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से शेरशाह सूरी ने à¤à¤• दान विà¤à¤¾à¤— की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। इसके अंतरà¥à¤—त à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अथवा संसà¥à¤¥à¤¾ को सहायता दी जाती थी जिसे सहायता की आवशà¥à¤¯à¤•ता होती थी। जगह जगह लंगर चलठजाते थे और जरूरतमंद लोगों को मà¥à¤«à¥à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ बांटे जाते थे। शेरशाह की दान शीलता à¤à¤µà¤‚ उदारता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शेरशाह के à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ हजारों मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°, किसान, मजदूर, निरà¥à¤§à¤¨, बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—, धारà¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ तैयार होता था। शेरशाह सूरी ने मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ के लिठजगह जगह सराय बनवाठथे। हर शहर में à¤à¤• सराय à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ बनवाया गया था जिसमें बाग- बगीचा हो ताकि इसमें उगने वाले फल और सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ के काम आ सके। शà¥à¤°à¥€ आरिफ ने बताया कि यदि दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से शेरशाह के जीवन का अंत नहीं होता तो वाह अकबर से à¤à¥€ अधिक महान शासक होते। इस मौके पर विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के अनà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤•ों में शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ कौसर जहां, शबाना पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£, साबरीन खातून के साथ-साथ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• शà¥à¤°à¥€ संजय कà¥à¤®à¤¾à¤° आदि उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे।
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