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कैद या जेल की सलाखें दà¥à¤– व दरà¥à¤¦ की बà¥à¤°à¥€ शकलें हैं। इसà¥à¤²à¤¾à¤® à¤à¤• à¤à¥ˆà¤¸à¤¾ दीन है जो इंसानों को आजाद देखना चाहता है लेकिन इसी के साथ साथ वह इंसाफ व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और बराबरी à¤à¥€ कायम करना चाहता है। इस लिठशरीअत इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ ने कैद व सज़ा का निजाम à¤à¥€ बनाया है। इस लिठनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व इंसाफ के तकाजों को पूरा करने के लिठकैद खाने à¤à¥€ जरूरी हैं। अगर कोई मà¥à¤œà¤°à¤¿à¤® है तो उसको सज़ा दी जायेगी। वह सजा पूरी करने और अपने गà¥à¤¨à¤¾à¤¹ से तौबा करने के बाद आम जिनà¥à¤¦à¤—ी गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का हक़दार होगा।
इन विचारों को इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सेनà¥à¤Ÿà¤° आफ इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ लखनऊ ने पà¥à¤°à¤•ट किया। वह ‘‘यौम-à¤-फतह मकà¥à¤•ा’’ के अवसर पर लखनऊ जिला आदरà¥à¤¶ जेल से कई कैदियों को रिहा करा रहे थे।
मौलाना फरंगी महली ने इस अवसर पर कहा कि नबी पाक सलà¥à¤²0 ने इरशाद फरमाया है कि तà¥à¤® जमीन वालों पर रहम करो तो आसमान वाला तà¥à¤® पर रहम करेगा। नबी पाक सलà¥à¤²0 के यह फरमान का उदाहरण 20 रमजान 8 हिजरी (11 जनवरी 630 ई0) को दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ने मकà¥à¤•ा की फतह के वकत देखा जब आप सलà¥à¤²0 ने अपने तमाम दशà¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ को मॉफ फरमा दिया।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि कैदियों को रिहा करना, à¤à¥‚कों को खाना खिलाना, बीमारों की देख à¤à¤¾à¤² करना इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ शरीअत की नजर में सवाब के काम हैं। यह à¤à¥ˆà¤¸à¥‡ काम हैं जिन पर अमल करके हम खà¥à¤¦à¤¾ पाक और नबी पाक सलà¥à¤²0 की खà¥à¤¶à¥€ हासिल कर सकते हैं।
मौलाना ने कहा कि कैदियों को रिहा कराने के सिलसिले में कà¥à¤°à¤¾à¤¨ पाक और हदीस शरीफ में साफ आदेश आयें हैं। इन कैदियों को रिहा कराना इंसानी जरूरत तो है ही साथ ही शरअई तकाजा à¤à¥€ है। इस लिठआज हम ने लखनऊ जिला आदरà¥à¤¶ जेल से कैदियों को रिहा कराया है। यह तमाम लोग अपनी सजाओं को पूरा करने के बाद à¤à¥€ जेल में कैद थे।
इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सेनà¥à¤Ÿà¤° के इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ मणà¥à¤¡à¤² में अदनान शाहिद खान, पीर जादा शेख राशिद अली मीनाई और मौलाना अबà¥à¤¦à¥à¤² लतीफ नदवी शामिल थे।
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