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साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ तथा पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® अंतिम दिन के आकरà¥à¤·à¤£ साहितà¥à¤¯ अकादेमी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आयोजित छह दिवसीय साहितà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ 2022 का समापन हà¥à¤†à¥¤ साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ तथा पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® अंतिम दिन के मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ थे। पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ जोकि उतà¥à¤¤à¤°-पूरà¥à¤µà¥€ और उतà¥à¤¤à¤°à¥€ लेखकों को à¤à¤• मंच पर लाने का है, के अंतरà¥à¤—त 26 लेखकों ने अपनी रचनाà¤à¤ और विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किà¤à¥¤ अपने उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ हिंदी कवि अरà¥à¤£ कमल ने कहा कि à¤à¥‚मंडलीकरण के दौर में इसके दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को रोकने में सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ छोटी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं ने योगदान दिया है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में हम मूल à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ से दूर हो रहे हैं और इसी कारण हमारी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ और बोलियाठदोनों ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो रही है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¤• जैसी बनाने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में हम उसकी बहà¥à¤°à¤‚गी विविधता को खोते जा रहे हैं, जो à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं और उसके साहितà¥à¤¯ के लिठबहà¥à¤¤ ही घातक है। आगे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सामूहिकता हमारी निजता को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं करती लेकिन सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ हमारी निजता का हनन है। अतः इसकी रकà¥à¤·à¤¾ करना हमारा दायितà¥à¤µ है। सतà¥à¤¯ के पकà¥à¤· में लिखना आवशà¥à¤¯à¤• है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने साहितà¥à¤¯ अकादेमी को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं और साहितà¥à¤¯ का गणतंतà¥à¤° बताते हà¥à¤ कहा कि यही हमारी थाती है। विशिषà¥à¤Ÿ अतिथि के रूप में वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ देते हà¥à¤ अà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤œ राजेंदà¥à¤° मिशà¥à¤° ने कहा कि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤µ की सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾ है और उसमें à¤à¤¸à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ समाहित है जिसने पूरे विशà¥à¤µ को आलोकित किया है। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ अपार है और समूचे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड के रहसà¥à¤¯ खोजने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखता है। उससे पहले साहितà¥à¤¯ अकादेमी के सचिव के. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤¸à¤°à¤¾à¤µ ने दोनों अतिथियों का सà¥à¤µà¤¾à¤—त अंगवसà¥à¤¤à¥à¤°à¤®à¥ और पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ à¤à¥‡à¤‚ट करके किया और अपने सà¥à¤µà¤¾à¤—त à¤à¤¾à¤·à¤£ में कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की बहà¥à¤²à¤¤à¤¾ और à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯ है और अकादेमी इनके लिठà¤à¤• पà¥à¤² का काम कर रही हैं। इन समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ से आपसी सदà¥à¤à¤¾à¤µ तो बà¥à¤¤à¤¾ ही है, साथ ही फैली हà¥à¤ˆ कई à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियों का समाधान à¤à¥€ होता है।साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ विषय पर आयोजित परिसंवाद में उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ देते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ लेखिका ममंग दई ने कहा कि महिलाà¤à¤ हमेशा परिवरà¥à¤¤à¤¨ की अनà¥à¤—ामी रही हैं और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में जो à¤à¤¯ फैला है, उससे लड़ने के लिठउनकी सजगता हमेशा à¤à¤• हथियार रही हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई उदाहरण देकर सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया कि सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की संवेदना दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को नठतरीके से समà¤à¤¤à¥€ और सà¤à¤µà¤¾à¤°à¤¤à¥€ है। बीज वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ देते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ बाङà¥à¤²à¤¾ लेखिका à¤à¤µà¤‚ कवयितà¥à¤°à¥€ अनीता अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ ने कहा कि केवल बाङà¥à¤²à¤¾ ही नहीं अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में à¤à¥€ लेखिकाओं की à¤à¤• पूरी पीà¥à¥€ ने अपने समय की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ को लिखा और अनà¥à¤¯ लोगो को à¤à¥€ लेखन के लिठपà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया। इस सृजनातà¥à¤®à¤• लेखन से महिलाओं की मानसिक सोच को बदलकर आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° बनाने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ बड़ी सफलता मिली है। सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® साहितà¥à¤¯ अकादेमी के सचिव के. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤¸à¤°à¤¾à¤µ ने दोनों अतिथियों का सà¥à¤µà¤¾à¤—त अंगवसà¥à¤¤à¥à¤°à¤®à¥ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ à¤à¥‡à¤‚ट करके किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सामाजिक विकास की नींव महिलाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही रखी गई और कला à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के मूल पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गà¥à¥‡ गठहैं। सामाजिक बदलाव की हर सीà¥à¥€ पर उनके पदचिनà¥à¤¹à¥ अंकित हैं। आजादी के 75वें वरà¥à¤· में उनकी इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को रेखांकित करने के लिठयह संगोषà¥à¤ ी आयोजित की गई है। अगले सतà¥à¤° में ममता कालिया की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के सात रचनाकारों ने अपने आलेख पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किà¤à¥¤â€˜à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® पर साहितà¥à¤¯â€™ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ विषयक तीन दिवसीय राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संगोषà¥à¤ ी का à¤à¥€ आज समापन हà¥à¤†à¥¤ आज हà¥à¤ तीन सतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ उदय नारायण सिंह, संयà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾ दास गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अनिल कà¥à¤®à¤¾à¤° बर’ ने की। सतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के विषय थे - ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कविता और सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आंदोलन’, ‘सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ लेखक और सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आंदोलन’ à¤à¤µà¤‚ ‘हाशिये के सà¥à¤µà¤° और सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आंदोलन’।
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