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नयी दिलà¥à¤²à¥€ - दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° के
लोगों को à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बसने और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जैसा महसूस करने में अनà¥à¤¯ देशों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में
अधिक आसानी होती है जबकि विदेशों में बसने वाले à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ मेें उस देश के नागरिक
होने के अहसास होने में अधिक समय लगता है। यहां जानकारी
à¤à¤šà¤à¤¸à¤¬à¥€à¤¸à¥€ के à¤à¤• नठशोध में सामने आई है जिसमें किसी नठदेश में बसने और अपनेपन का
अहसास करने के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारणों का पता लगाया गया है। बात à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बसने की हो, तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में
आने वाले अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नागरिकों को कहीं अधिक आसानी का अनà¥à¤à¤µ होता है। इसमें कहा
गया है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बसने वाले पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से 80 फीसदी लोगों का
कहना है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यहां बसने में à¤à¤• वरà¥à¤· से à¤à¥€ कम समय लगा। वे à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ही रहने
वाले हैं, यह अहसास आने में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ औसतन 7.4 महीने लगते हैं, जो कि 8.3 महीने के
वैशà¥à¤µà¤¿à¤• औसत से कम है। सरà¥à¤µà¥‡ में शामिल पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से 36 फीसदी लोगों को
तà¥à¤°à¤‚त ही घर जैसा महसूस होने लगता है, 23 फीसदी लोगों को
इसमें 6 महीने से à¤à¥€ कम समय लगा और 21 फीसदी लोगों को
6 महीने से लेकर à¤à¤• वरà¥à¤· तक का समय लगा।
रिपोरà¥à¤Ÿ के
अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हालांकि, काफी संखà¥à¤¯à¤¾ में विदेश जाने वाले à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ (जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में
पैदा हà¥à¤) को अपने नठसमà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ का हिसà¥à¤¸à¤¾ बनने में मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‹à¤‚ का सामना करना पड़ता
है। खास तौर पर, विदेश में बसने वाले लगà¤à¤— à¤à¤• तिहाई (33 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤)
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इस बात से सहमत नहीं हैं कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मेज़बान देश में ‘सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों
जैसा अनà¥à¤à¤µâ€™ होता है, जबकि ठीक इसी तरह करीब 31 फीसदी लोग
अपनेपन के अहसास को लेकर आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ नहीं नज़र आते हैं।
अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯
नागरिकों के बीच किठगठà¤à¤šà¤à¤¸à¤¬à¥€à¤¸à¥€ रिसरà¥à¤š में पाया गया कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में करीब à¤à¤•
तिहाई लोगों के लिठविदेश में बसने के पीछे सबसे अहम कारण बेहतर जीवनशैली का वादा
है, अचà¥à¤›à¥€ तरह बस जाने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और वह à¤à¥€ अपनेपन के अहसास के
साथ, जो हमेशा सीधा सपाट नहीं होता है।
सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ में 7,000 से
जà¥à¤¼à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोगों ने हिसà¥à¤¸à¤¾ लिया जो रहने, पढ़ने या काम
करने के लिठविदेश गठहैं या विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया
कि अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नागरिकों को विदेश में नई जगह पर अपनेपन का अहसास होने में औसतन
लगà¤à¤— आठमहीने लगते हैं। लेकिन सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेने वाले करीब à¤à¤• चौथाई (23 फीसदी) लोगों
के लिठयह समय à¤à¤• वरà¥à¤· से à¤à¥€ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। इस अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में अलग-अलग पीढ़ियों और विदेश
में बसने की उनकी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के बीच के à¤à¤¾à¤°à¥€ अंतर को à¤à¥€ बताया गया है। ज़ेनज़ी यानी
यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के यह कहने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ कम ही होती है कि वे यह कहें कि वे अपनी नई जगह से
संबंध रखते हैं, सिरà¥à¤« आधे लोगों (56 फीसदी) का कहना
है कि à¤à¤¸à¤¾ होता है, इसमें पांच में से तीन (70 फीसदी)
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों की उमà¥à¤° 35 से 64 वरà¥à¤· थी।
जब
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों से घर जैसा महसूस करने में मदद करने वाली रणनीतियों के बारे में पूछा
गया, तो अनà¥à¤¯ लोगों के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯
संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अनà¥à¤à¤µ लेने जैसी रणनीतियां शीरà¥à¤· पर रहीं। हालांकि, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾
सीखना शीरà¥à¤· पांच पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में नहीं है- जिससे पता चलता है कि अपनेपन के अहसास के
लिहाज़ से यह कोई बाधा नहीं है- दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° के जिन अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नागरिकों से हमने
बात की उनमें से 22 फीसदी लोगों ने इस बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। उदाहरण के लिà¤, सà¥à¤•à¥‚ल तलाशने
से पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपने परिवारों के साथ अचà¥à¤›à¥€ तरह बसने में मदद मिली। 69 फीसदी लोगों को
अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठउनकी ज़रूरत के हिसाब से बहà¥à¤¤ ही आसानी से सà¥à¤•à¥‚ल मिल गया।
दरअसल, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के सà¥à¤•à¥‚ल में आयोजित होने वाली गतिविधियों और
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेना, शीरà¥à¤· कारण रहा जिससे पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आसानी से बसने में मदद मिली, 29 फीसदी लोगों ने
यह माना कि इससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनापना महसूस होने में मदद मिली।
अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में इस
बात पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया गया है कि किस तरह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ विदेश में बसने वाले
किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपनेपन का अहसास कराने में लगने वाले समय को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कर सकता है।
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में अकेले नठदेश में बसने वाले (किसी साथी या परिवार के बिना यातà¥à¤°à¤¾
करने वाले) लगà¤à¤— à¤à¤• चौथाई (28 फीसदी) लोगों को घर जैसा महसूस करने
में à¤à¤• वरà¥à¤· से अधिक समय लगा, जबकि नई जगह पर साथी/परिवार के साथ
यातà¥à¤°à¤¾ करने वाले लोगों की संखà¥à¤¯à¤¾ 21 फीसदी है।
टैकà¥à¤¨à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¥€ की मदद से काम करने वाले लोग यानी डिजिटल नोमैड को, अकेले बसने आने
वाले लोगों के मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ कम समय में ही अपनेपन का अहसास हो जाता है। आधे से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾
à¤à¤¸à¥‡ लोगों (55 फीसदी) को छह महीने के à¤à¥€à¤¤à¤° ही अपनापन महसूस होने लगता है
जबकि अकेले नठदेश में बसने वालों के मामले यह आंकड़ा 45 फीसदी है।
संà¤à¤µà¤¤: à¤à¤¸à¤¾ इसलिठहै कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि घर पर परिवार और दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ उनका जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ काफी
मज़बूत होता है - ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° डिजिटल नोमैड (72 फीसदी) का
परिवार और दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ अचà¥à¤›à¤¾ संबंध होता है जबकि अकेले विदेश में बसने वाले 53 फीसदी लोगों के
मामले में à¤à¤¸à¤¾ है।
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