समाचार ब्यूरो
29/04/2023  :  23:29 HH:MM
विविधताओं का संगम भारत को अनंतकाल तक रखेगा ऊर्जावान : मोदी
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वाराणसी - गंगा-पुष्करालु उत्सव की शुभकामनायें देते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आजादी का ये अमृतकाल देश की विविधताओं का, विविध धाराओं का संगमकाल है। विविधताओं के इन संगमों से राष्ट्रीयता का अमृत निकल रहा है, जो भारत को अनंत भविष्य तक ऊर्जावान रखेगा।

श्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये उत्सव को संबोधित करते हुये कहा कि काशी के घाट पर ये गंगा-पुष्करालु उत्सव, गंगा और गोदावरी के संगम की तरह है। ये भारत की प्राचीन सभ्यताओं, संस्कृतियों और परम्पराओं के संगम का उत्सव है। कुछ महीने पहले यहीं काशी की धरती पर काशी-तमिल संगमम् का आयोजन भी हुआ था। अभी कुछ ही दिन पहले मुझे सौराष्ट्र-तमिल संगमम् में भी शामिल होने का सौभाग्य मिला है। तब मैंने कहा था, काशी से जुड़ा हर व्यक्ति जानता है कि काशी और काशीवासियों का तेलुगू लोगों से कितना गहरा रिश्ता है।
उन्होने कहा कि काशी जितनी प्राचीन है, उतना ही प्राचीन ये रिश्ता है। काशी जितनी पवित्र है, उतनी ही पवित्र तेलुगू लोगों की काशी में आस्था है। आज भी, जितने तीर्थयात्री काशी आते हैं, उनमें एक बहुत बड़ी संख्या अकेले आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों की ही होती है। तेलगू राज्यों ने काशी को कितने ही महान संत दिये हैं, कितने आचार्य और मनीषी दिये हैं। काशी के लोग और तीर्थयात्री जब बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जाते हैं, तो तैलंग स्वामी के आशीर्वाद लेने उनके आश्रम भी जाते हैं। स्वामी रामकृष्ण परमहंस तो तैलंग स्वामी को साक्षात् काशी का जीवंत शिव कहते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे काशी ने तेलुगू लोगों को अपनाया, आत्मसात किया, वैसे ही तेलगू लोगों ने भी काशी को अपनी आत्मा से जोड़कर रखा है। यहाँ तक कि, पवित्र तीर्थ वेमुला-वाड़ा को भी दक्षिण काशी कहकर बुलाया जाता है। आंध्र और तेलंगाना के मंदिरों में जो काला सूत्र हाथ में बांधा जाता है, उसे आज भी काशी दारम् कहते हैं। इसी तरह, श्रीनाथ महाकवि का काशी खण्डमु' ग्रंथ हो, एनुगुल वीरस्वामय्या का काशी यात्रा चरित्र हो, या फिर लोकप्रिय काशी मजिली कथलु हो, काशी और काशी की महिमा तेलुगू भाषा और तेलुगू साहित्य में भी उतनी ही गहराई से रची बसी है। उन्होने कहा कि काशी मुक्ति और मोक्ष की नगरी भी है। एक समय था जब तेलुगू लोग हजारों किलोमीटर चलकर काशी आते थे। आधुनिक समय में अब वो परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। आज एक ओर विश्वनाथ धाम का दिव्य वैभव है, तो दूसरी ओर गंगा के घाटों की भव्यता भी है। आज एक ओर काशी की गलियाँ हैं, तो दूसरी ओर नई सड़कों और हाईवे का नेटवर्क भी है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से जो लोग पहले काशी आ चुके हैं, वो अब काशी में हो रहे इस बदलाव को महसूस कर रहे होंगे। एक समय था जब एयरपोर्ट से दशाश्वमेध घाट तक पहुंचने में घंटों लग जाया करते थे। आज नया हाईवे बनने से अब लोगों का बहुत समय बच रहा है। एक समय था, जब काशी की सड़कें बिजली के तारों से भरी रहती थीं। अब काशी में ज्यादातर जगहों पर बिजली के तार भी अंडरग्राउंड हो चुके हैं। आज काशी के अनेकों कुंड हों, मंदिरों तक आने-जाने का रास्ता हो, काशी के सांस्कृतिक स्थल हों, सभी का कायाकल्प हो रहा है। अब तो गंगा जी में सीएनजी वाली नावें भी चलने लगी हैं। और वो दिन भी दूर नहीं जब बनारस आने-जाने वालों को रोप-वे की सुविधा भी मिल जाएगी।
श्री मोदी ने कहा कि चाहे स्वच्छता का अभियान हो, काशी के घाटों की साफ-सफाई हो, बनारस के लोगों ने, वहां के युवाओं ने इसे जनआंदोलन बना दिया है। ये काशीवासियों ने अपने परिश्रम से किया है, बहुत मेहनत से किया है। बाबा का आशीर्वाद, कालभैरव और माँ अन्नपूर्णा के दर्शन अपने आप में अद्भुत होता है। गंगा जी में डुबकी, आपकी आत्मा प्रसन्न कर देगी। इन सबके साथ ही आपके लिए इस गर्मी में काशी की लस्सी और ठंडई भी है। बनारस की चाट, लिट्टी-चोखा, और बनारसी पान, इनका स्वाद आपकी यात्रा को और भी यादगार बना देंगे।






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