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पटना - बिहार के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नीतीश कà¥à¤®à¤¾à¤°
ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सेवा (आईà¤à¤à¤¸) के अधिकारी की हतà¥à¤¯à¤¾ मामले में जेल में रहे
पूरà¥à¤µ सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर मचे घमासान को लेकर मà¥à¤–à¥à¤¯ विपकà¥à¤·à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता
पारà¥à¤Ÿà¥€ (à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾) पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग पहले इसकी मांग कर रहे थे वही जब
रिहाई हो गई तो विरोध कर रहे हैं। शà¥à¤°à¥€ कà¥à¤®à¤¾à¤° ने
शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को यहां सिविल सेवा दिवस पर आयोजित कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को संबोधित करने के बाद
संवाददाताओं से बातचीत के दौरान शà¥à¤°à¥€ आनंद मोहन सहित अनà¥à¤¯ कैदियों को जेल से रिहा
करने के सवाल पर कहा कि à¤à¤• आदमी के बारे में जो इतनी बात की जा रही है, यह आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤•
है। मà¥à¤–à¥à¤¯ सचिव ने कल ही इसके बारे में सारी बातें बता दी है। अगर आपलोग इसको
जानना चाहते हैं तो केंदà¥à¤° से 2016 में जो मैनà¥à¤¯à¥‚अल जारी हà¥à¤† था उसमें
कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है। इसमें किसी के लिये विशेष पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ ही नहीं है लेकिन बिहार में
यह पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ था इसलिठवह à¤à¥€ अब हट गया, अब सबके लिये
बराबर हो गया। यह पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ किसी राजà¥à¤¯ में नहीं है।
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने
पूछा कि कà¥à¤¯à¤¾ सरकारी अधिकारी की हतà¥à¤¯à¤¾ और सामानà¥à¤¯ आदमी की हतà¥à¤¯à¤¾ इन दोनों में फरà¥à¤•
होना चाहिये। आज तक à¤à¤¸à¤¾ कहीं होता है। आजीवन कारावास की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• अवधि 14 वरà¥à¤· à¤à¤µà¤‚
परिहार जोड़कर 20 वरà¥à¤· पूरà¥à¤£ करने के बाद कैदियों को कारा से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने का
पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है। बिहार में वरà¥à¤· 2017 से अà¤à¥€ तक 22 बार परिहार
परिषदॠकी बैठक हà¥à¤ˆ और 698 बंदियों को कारा मà¥à¤•à¥à¤¤ किया गया।
केंदà¥à¤° सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 26 जनवरी और 15 अगसà¥à¤¤ को और
बाकी अनà¥à¤¯ दिवस के अवसर पर बंदियों को छोड़ा जाता है।
शà¥à¤°à¥€ कà¥à¤®à¤¾à¤° ने
कहा कि बिहार में वरà¥à¤· 2017 से अब तक कई कैदियों को रिहा किया
गया है। इस बार à¤à¥€ 27 कैदियों को रिहा किया गया है। उसमें à¤à¤• ही पर चरà¥à¤šà¤¾ हो रही
है। इसका तो कोई मतलब नहीं है। तरह-तरह के लोग बयान देते हैं तो उनको आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤†à¥¤
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा, “हमको ये कहना उचित नहीं है। जो लोग पहले इसकी मांग कर रहे
थे। जब रिहाई हो गयी तो विरोध कर रहे हैं। इस विरोध का कोई मतलब नहीं है। इसको
लेकर विरोध करने का अब कोई तà¥à¤• नहीं है।â€
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ पारà¥à¤Ÿà¥€ मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦à¥€-लेनिनवादी (à¤à¤¾à¤•पा-माले) दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अरवल में
टाडा बंदियों को छोड़ने की मांग के संबंध में पतà¥à¤°à¤•ारों के सवाल पर कहा कि जो
पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है, जो नियम है, उसके अनà¥à¤°à¥‚प
ससमय बंदियों को छोड़ने की कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ की जाती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि कई राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾
बंदियों को मà¥à¤•à¥à¤¤ किया जाता है। वरà¥à¤· 2020-21 में असम में 280, छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—à¥
में 338, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में 47, हरियाणा में 79, हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶
में 50, à¤à¤¾à¤°à¤–ंड में 298, करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में 195, केरल
में 123, मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में 692, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में
313, उड़ीसा में 203, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में 346, तेलंगाना
में 139, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में 656, दिलà¥à¤²à¥€ में 280 और केंदà¥à¤°
शासित पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ में 294 बंदियों को रिहा किया गया है। बिहार
में वरà¥à¤· 2020 और 2021 दोनों को मिलाकर कà¥à¤² 105 बंदियों को
रिहा किया गया है। अनà¥à¤¯ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से आप बिहार की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ कर लीजिये।
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