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समाज में, जनता में à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठपहले साधà¥à¤“ं को उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करना होगा। हम जब à¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की बात करें, वह तà¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤•ारी होगी जब साधॠसमाज सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की नजीर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करेगा। देश में अलग अलग पंथों के लगà¤à¤— 16 सौ दिगमà¥à¤¬à¤° जैन साधॠहैं। लगà¤à¤— इतने ही अनà¥à¤¯ जैन परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के साधॠहैं। सà¤à¥€ अपने अपने पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में समाज में à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की बात करते हैं। किनà¥à¤¤à¥ कà¤à¥€ कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ देखने को मिलता है कि जहां à¤à¤• पंथ-परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के साधॠहोते हैं तो दूसरे पंथ-परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के साधॠपास से ही कनà¥à¤¨à¥€ काट कर अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° चले जाते हैं। निकट में होते हà¥à¤ à¤à¥€ आपस में मिलते नहीं हैं। समाज में à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठसाधà¥-संतों को à¤à¥€ साधà¥-संसà¥à¤¥à¤¾ में à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ सथापित करना होगा।
ये विचार रविवार को इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के शà¥à¤°à¥€ शांतिनाथ दिगमà¥à¤¬à¤° जैन मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¤à¤¾ को संबोधित करते हà¥à¤ आचारà¥à¤¯ पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¦à¤‚त सागर मà¥à¤¨à¤¿à¤®à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤œ के शिषà¥à¤¯ अचारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤—र जी मà¥à¤¨à¤¿à¤®à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤œ ने अपने पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये। आगे आचारà¥à¤¯à¤¶à¥à¤°à¥€ ने कहा कि वे शà¥à¤°à¤µà¤£à¤¬à¥‡à¤²à¤—ोला के महामसà¥à¤¤à¤•ाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के अवसर पर गोमà¥à¤®à¤Ÿà¥‡à¤¶ बाहà¥à¤¬à¤²à¥€ गये थे। वहां 380 जैन साधॠथे। वहां किसी पंथ की विचारधारा का कोई à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ नहीं हà¥à¤†à¥¤ जो जहां विधि मिली वहां आहार के लिठचले गये। बीसपंथी साधॠतेरापंथी चैके में, तेरापंथी साधॠबीसपंथी चैके में आहार के लिठचले जाते थे। कहीं कोई à¤à¥‡à¤¦-à¤à¤¾à¤µ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त नहीं हà¥à¤†à¥¤ उसी तरह देश में सà¤à¥€ पंथों, उपपंथों के साधà¥à¤“ं को करना चाहिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा जब साधॠही à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ का अनà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ नहीं करेंगे तब शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚-शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤•ों, समाज को कैसे à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ का उपदेश दे पायेंगे। साधॠà¤à¤• हैं तो समाज à¤à¤• है। साधà¥à¤“ं में दà¥à¤°à¤¾à¤µ है, तो समाज में दà¥à¤°à¤¾à¤µ होगा होगा। समाज को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रूप से à¤à¥€ सोचना होगा कि साधà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤¥à¤¾ के दà¥à¤°à¤¾à¤µ में कहीं उनकी संलगà¥à¤¨à¤¤à¤¾ तो नहीं है।
विदà¥à¤µà¤¤à¥ परिषदॠके महामंतà¥à¤°à¥€ डाॅ. महेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤•à¥à¤®à¤° जैन ‘मनà¥à¤œâ€™ ने बताया कि आचारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤—र मà¥à¤¨à¤¿à¤®à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤œ से पूरà¥à¤µ आचारà¥à¤¯ विशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¸à¤¾à¤—र मà¥à¤¨à¤¿à¤®à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤œ के शिषà¥à¤¯ आदितà¥à¤¯ सागर मà¥à¤¨à¤¿à¤®à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤œ ने इसी धरà¥à¤®à¤¸à¤à¤¾ को संबोधित करते हà¥à¤ कहा कि गà¥à¤°à¥à¤¸à¤¾à¤¨à¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में कà¥à¤› बात और थी और अब बिना गà¥à¤°à¥ के वे तीन साधà¥à¤“ं के साथ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर रहे हैं, यह बात अलग है। किनà¥à¤¤à¥ आचारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤—र मà¥à¤¨à¤¿à¤®à¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤œ से मिलने के उपरानà¥à¤¤ इनसे à¤à¥€ हमें अपने गà¥à¤°à¥ के समतà¥à¤²à¥à¤¯ सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ मिल रहा है। उकà¥à¤¤ दोनों पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¤•रà¥à¤¤à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने कहा कि मिलन दूध में पानी जैसा होना चाहिà¤à¥¤ जब दोनों मिलें तो à¤à¤•मेक हो जायें। जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि आचारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤—र जी और मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥€ आदितà¥à¤¯à¤¸à¤¾à¤—र जी ससंघ का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ इनà¥à¤¦à¥Œà¤° की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कालोनियों में चल रहा है। रविवार को दोनों संघों का मिलन शांतिनाथ दिगमà¥à¤¬à¤° जैन मंदिर मलà¥à¤¹à¤¾à¤°à¤—ंज में हà¥à¤†à¥¤ इसी अवसर पर दोनों संघों के पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ों ने जनता को अपने पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संबोधित किया।
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