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वासà¥à¤¤à¥ के उपयोग करà¥à¤¤à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤µà¤¨ में निवास करने वाले, दà¥à¤•ान, मकान, फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ आदि जो à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ है उसका उपयोग करने वाला वासà¥à¤¤à¥ उपयोगकरà¥à¤¤à¤¾ है। वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इनका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और उपयोग किया जाय तो लाà¤à¤ªà¥à¤°à¤¦ होता है। वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° की जानकारी के लिठआठदिशाओं की जानकारी होना आवशà¥à¤¯à¤• है। इसके लिठआपको दिशासूचक यंतà¥à¤° से अचà¥à¤›à¥€ मदद मिलेगी। अपने मोबाईल में à¤à¥€ कोई कमà¥à¤ªà¤¾à¤¸ अपलोड कर उपयोग कर सकते हैं। लेकिन हम à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ जानते हैं कि जिस ओर से सूरà¥à¤¯ उदित होता है वह पूरà¥à¤µ दिशा है। उस ओर मà¥à¤à¤¹ करके खड़े होने पर आपके पीछे की ओर पशà¥à¤šà¤¿à¤®, दाहिने हाथ की ओर दकà¥à¤·à¤¿à¤£ और बायें हाथ की ओर उतà¥à¤¤à¤° दिशा होती है। अब चार अनà¥à¤¯ दिशाà¤à¤ जिनकी जानकारी सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नहीं होती उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विदिशाà¤à¤ कहते है, वे जान लें। उतà¥à¤¤à¤° और पूरà¥à¤µ दिशा के मधà¥à¤¯ का कोण ईशान दिशा कहलाती है, पूरà¥à¤µ और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ का कोना आगà¥à¤¨à¥‡à¤¯ दिशा, दषिण व पशà¥à¤šà¤¿à¤® के मधà¥à¤¯ का कोना नैऋतà¥à¤¯ दिशा और पशà¥à¤šà¤¿à¤® तथा उतà¥à¤¤à¤° दिशा के मधà¥à¤¯ का कोना वायवà¥à¤¯ दिशा कहलाती है। अब इन दिशाओं के महतà¥à¤µ को समठलें-
पूरà¥à¤µ दिशा- इस दिशा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ देवता सूरà¥à¤¯ हैं। सूरà¥à¤¯ पूरà¥à¤µ से ही उदित होता है। यह दिशा शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठकी दिशा है। à¤à¤µà¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° को इसी दिशा में बनाने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जाता है। इसके पीछे दो तरà¥à¤• हैं। पहला- दिशा के देवता सूरà¥à¤¯ को सतà¥à¤•ार देना और दूसरा वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तरà¥à¤• यह है कि पूरà¥à¤µ में मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° होने से सूरà¥à¤¯ की रोशनी व हवा की उपलबà¥à¤§à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤¨ में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में रहती है। सà¥à¤¬à¤¹ के सूरज की पैरा बैंगनी किरणें रातà¥à¤°à¤¿ के समय उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाले सूकà¥à¤·à¥à¤® जीवाणà¥à¤“ं को खतà¥à¤® करके घर को ऊरà¥à¤œà¤¾à¤µà¤¾à¤¨ बनाये रखती हैं।
उतà¥à¤¤à¤° दिशा- इस दिशा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ देव धन के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कà¥à¤¬à¥‡à¤° हैं। यह दिशा धà¥à¤°à¥à¤µ तारे की à¤à¥€ है। आकाश में उतà¥à¤¤à¤° दिशा में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ धà¥à¤°à¥à¤µ तारा सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ व सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। यही वजह है कि इस दिशा को समसà¥à¤¤ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के निमितà¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤® माना जाता है। à¤à¤µà¤¨ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° या लिविंग रूम/ बैठक इसी à¤à¤¾à¤— में बनाने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जाता है। à¤à¤µà¤¨ के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤— को खà¥à¤²à¤¾ à¤à¥€ रखा जाता है। चूंकि à¤à¤¾à¤°à¤¤ उतà¥à¤¤à¤°à¥€ अकà¥à¤·à¤¾à¤‚श पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, इसलिठउतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤— अधिक पà¥à¤°à¤•ाशमान रहता है। यही वजह है कि उतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤— को खà¥à¤²à¤¾ रखने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जाता है, जिससे इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से घर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने वाला पà¥à¤°à¤•ाश बाधित न हो।
उतà¥à¤¤à¤°-पूरà¥à¤µ (ईशान कोण)- यह दिशा बाकी सà¤à¥€ दिशाओं में सरà¥à¤µà¤¾à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤® दिशा मानी जाती है। उतà¥à¤¤à¤° व पूरà¥à¤µ दिशाओं के संगम सà¥à¤¥à¤² पर बनने वाला कोण ईशान कोण है। इस दिशा में कूड़ा-कचरा या शौचालय इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ नहीं होना चाहिà¤à¥¤ ईशान कोण को खà¥à¤²à¤¾ रखना चाहिठया इस à¤à¤¾à¤— पर जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ बनाया जा सकता है। उतà¥à¤¤à¤°-पूरà¥à¤µ दोनों दिशाओं का समगà¥à¤° पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ ईशान कोण पर पड़ता है। पूरà¥à¤µ दिशा के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से ईशान कोण सà¥à¤¬à¤¹ के सूरज की रोशनी से पà¥à¤°à¤•ाशमान होता है, तो उतà¥à¤¤à¤° दिशा के कारण इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर लंबी अवधि तक पà¥à¤°à¤•ाश की किरणें पड़ती हैं। ईशान कोण में जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ बनाया जाठतो सà¥à¤¬à¤¹ के सूरà¥à¤¯ कि पैरा-बैंगनी किरणें उसे सà¥à¤µà¤šà¥à¤› कर देती हैं।
पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा - यह दिशा जल के देवता वरà¥à¤£ की है। सूरà¥à¤¯ जब असà¥à¤¤ होता है, तो अंधेरा हमें जीवन और मृतà¥à¤¯à¥ के चकà¥à¤•र का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कराता है। यह बताता है कि जहां आरंठहै, वहां अंत à¤à¥€ है। शाम के तपते सूरज और इसकी इंफà¥à¤°à¤¾ रेड किरणों का सीधा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤— पर पड़ता है, जिससे यह अधिक गरम हो जाता है। यही वजह है कि इस दिशा को शयन के लिठउचित नहीं माना जाता। इस दिशा में शौचालय, बाथरूम, सीढियों अथवा सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° रूम का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जा सकता है। इस à¤à¤¾à¤— में पेड़-पौधे à¤à¥€ लगाठजा सकते हैं।
उतà¥à¤¤à¤°- पशà¥à¤šà¤¿à¤® (वायवà¥à¤¯ कोण)- यह दिशा वायॠदेवता की है। उतà¥à¤¤à¤°- पशà¥à¤šà¤¿à¤® à¤à¤¾à¤— à¤à¥€ संधà¥à¤¯à¤¾ के सूरà¥à¤¯ की तपती रोशनी से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ रहता है। इसलिठइस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को à¤à¥€ शौचालय, सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° रूम, सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤˜à¤° आदि के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ बताया गया है। उतà¥à¤¤à¤°-पशà¥à¤šà¤¿à¤® में शौचालय, सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤˜à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने से à¤à¤µà¤¨ के अनà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‡ संधà¥à¤¯à¤¾ के सूरà¥à¤¯ की उषà¥à¤®à¤¾ से बचे रहते हैं, जबकि यह उषà¥à¤®à¤¾ शौचालय à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤˜à¤° को सà¥à¤µà¤šà¥à¤› à¤à¤µà¤‚ सूखा रखने में सहायक होती है।
दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा - यह दिशा मृतà¥à¤¯à¥ के देवता यमराज की है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा का संबंध हमारे à¤à¥‚तकाल से à¤à¥€ है। इस दिशा में अतिथि ककà¥à¤· या बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठशयन ककà¥à¤· बनाया जा सकता है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में बॉलकनी या बगीचे जैसे खà¥à¤²à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं होने चाहिà¤à¥¤ इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को खà¥à¤²à¤¾ न छोड़ने से यह रातà¥à¤°à¤¿ के समय न अधिक गरम रहता है और न जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ठंडा। लिहाजा यह à¤à¤¾à¤— शयन ककà¥à¤· के लिà¤à¤‰à¤¤à¥à¤¤à¤® होता है।
दकà¥à¤·à¤¿à¤£- पशà¥à¤šà¤¿à¤® (नैऋतà¥à¤¯ कोण) - यह दिशा नैऋती अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤¥à¤¿à¤° लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ (धन की देवी) की है। इस दिशा में आलमारी, तिजोरी या गृहसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ का शयन ककà¥à¤· बनाना चाहिà¤à¥¤ चूंकि इस दिशा में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ व पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशाओं का मिलन होता है, इसलिठयह दिशा वेंटिलेशन के लिठबेहतर होती है। यही कारण है कि इस दिशा में गृह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ का शयन ककà¥à¤· बनाने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जाता है। आलमारी को इस हिसà¥à¤¸à¥‡ की पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ दीवार में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया जा सकता है। यह दिशा अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ दिशाओं से à¤à¤¾à¤°à¥€ होना चाहिà¤à¥¤
दकà¥à¤·à¤¿à¤£-पूरà¥à¤µ (आगà¥à¤¨à¥‡à¤¯ कोण)- इस दिशा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§ देव अगà¥à¤¨à¤¿ हैं। यह दिशा उषà¥à¤®à¤¾, जीवनशकà¥à¤¤à¤¿ और ऊरà¥à¤œà¤¾ की दिशा है। रसोईघर के लिठयह दिशा सरà¥à¤µà¤¾à¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤® होती है। सà¥à¤¬à¤¹ के सूरज की पैराबैंगनी किरणों का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ने के कारण रसोईघर मकà¥à¤–ी-मचà¥à¤›à¤° आदि जीवाणà¥à¤“ं से मà¥à¤•à¥à¤¤ रहता है। वहीं दकà¥à¤·à¤¿à¤£- पशà¥à¤šà¤¿à¤® यानी वायॠकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ दिशा à¤à¥€ रसोईघर में जलने वाली अगà¥à¤¨à¤¿ को कà¥à¤·à¥€à¤£ नहीं कर पाती। अगà¥à¤¨à¤¿ से समà¥à¤¬à¤‚धित बिली का मीटर, जेनरेटर, मेन सà¥à¤µà¤¿à¤š आदि इस दिशा में संयोजित करना चाहिà¤à¥¤
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨- वासà¥à¤¤à¥ में à¤à¤• और महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ होता है, वह है बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥¤ यह निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के ठीक मधà¥à¤¯ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कहलाता है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ चारों तरफ से नाम कर जो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ठीक मधà¥à¤¯ में पड़ता है वह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सथान है। निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के समय धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिठकि इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पिलर, सीà¥à¥€, शौचालय आदि न आये। जो मकान 9 पिलर पर बनता है, उसका मधà¥à¤¯ का पिलर इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आ जाता है अतः इस पिलर से à¤à¤• तरफ की दूरी कम और दूसरे तरफ की दूरी थोड़ी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कर देने से यह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में नहीं आता है।
अनà¥à¤•ूल वासà¥à¤¤à¥ सà¥à¤– व समृदà¥à¤§à¤¿ दायक होता है।
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