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छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ के बसà¥à¤¤à¤° को नकà¥à¤¸à¤²à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ के परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के तौर पर देखा जाता रहा है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहां के बड़े हिसà¥à¤¸à¥‡ में किसी दौर में नकà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हà¥à¤•à¥à¤® को मानना लोगों की मजबूरी हà¥à¤† करता था, लेकिन अब सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बदलने लगी हैं। लोगों में à¤à¤• तरफ नकà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का खौफ कम हो रहा है तो दूसरी ओर जिंदगी à¤à¥€ तेजी से बदल रही है। रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं तो शिकà¥à¤·à¤¾ और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ बदलाव नजर आने लगा है।
अब से कोई लगà¤à¤— à¤à¤• दशक पहले वरà¥à¤· 2013 में à¤à¥€à¤°à¤® घाटी में हà¥à¤ नरसंहार को लोग à¤à¥‚ल नहीं पाठहैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ततà¥à¤•ालीन कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· नंदकà¥à¤®à¤¾à¤° पटेल और पूरà¥à¤µ केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ शà¥à¤•à¥à¤² सहित 33 लोगों को नकà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने मौत के घाट उतार दिया था। यह संà¤à¤µà¤¤ देश का सबसे बड़ी राजनीतिक हतà¥à¤¯à¤¾à¤•ांड था à¤à¤• दशक पहले का दौर और अब का दौर अब लोगों में काफी बदला नजर आता है।
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