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हम मंदिर बनाते हैं खास तौर पर जैन मंदिर तो उसकी à¤à¤• ही वेदी पर अनेकों पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ विराजमान कर देते हैं। यदि मंदिर की वेदी पर अधिक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं होता है तो सबसे बड़ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के आगे कà¥à¤› छोटी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾, उससे आगे और छोटी इस तरह से à¤à¤•-à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के आगे à¤à¤•ाधिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर देते हैं। तिस पर कà¥à¤› यं़तà¥à¤° होते हैं तो वे à¤à¥€ रख देते हैं। अधिक यंतà¥à¤° हà¥à¤ तो à¤à¤• साथ दो-तीन यंतà¥à¤° रख देते हैं। इसी तरह गृहमंदिर अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ निवास के पूजा घर में तो किसी-किसी के यहाठविकट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हमने देखी है कि जिस जानकार के यहाठवह गये उसने बताया ये यंतà¥à¤° ऋदà¥à¤§à¤¿-वृदà¥à¤§à¤¿ का है, वह ले लिया, किसी ने कहा यह मà¥à¤•दमा जीतने का है, वह रख लिया, किसी ने वासà¥à¤¤à¥ दोष निवारण का दिया वह रख लिया। à¤à¤• ही पूजाघर में दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ यंतà¥à¤° à¤à¤• के आगे à¤à¤•, कोई तिरछा, कोई टेà¥à¤¾ कोई किसी दिशा की ओर, कोई किसी दिशा की ओर। लोग कई यंतà¥à¤° यह सोचकर रख लेते हैं कि कोई न कोई तो अचà¥à¤›à¤¾ काम करेगा। लेकिन लोग यह नहीं जानते कि यदि दो पॉजिटिव अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ टकराà¤à¤ या बाधित हों तो उनसे निगेटिव अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ नकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है।
बहà¥à¤¤ से लोग तो अनजाने में à¤à¤¸à¥‡ यंतà¥à¤° पूजा घर में रख लेते हैं कि उनके कारण अनà¥à¤¯ पॉजिटिव ऊरà¥à¤œà¤¾ à¤à¥€ निःसृत नहीं हो पाती है। à¤à¤¸à¥‡ अनेक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पूजाघरों के यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में हमने डाउजिंग (निगेटिव-पॉजिटिव ऊरà¥à¤œà¤¾ मापने का तांबे कीं à¤à¤² टाईप मà¥à¥œà¥€ हà¥à¤ˆ 2 छड़ें) से उनकी ऊरà¥à¤œà¤¾ दिखाई है। यदि à¤à¤• के ऊपर à¤à¤• रखे अथवा आमने-सामने रखे यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की ऊरà¥à¤œà¤¾ देखी तो निगेटिव थी और उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की बाधा हटाकर सीधे सही दिशा में रखे तो उन यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से पॉजिटिव ऊरà¥à¤œà¤¾ दरà¥à¤¶à¤¿à¤¤ होने-निःसृत होने लगी।
इसी तरह मंदिर की वेदी पर à¤à¤•धिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ रखें उससे कोई हानि नहीं है, किनà¥à¤¤à¥ यदि किसी देव-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ का थोड़ा सा à¤à¤¾à¤— à¤à¥€ बाधित होता है- बाधित होने से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है यदि दरà¥à¤¶à¤• उसके दरà¥à¤¶à¤¨ करता है तो उसके आगे रखी किसी अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾, यंतà¥à¤°, सिंहासन, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤°à¥à¤¯ आदि के कारण वह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ पूरà¥à¤£ नहीं दिखती है तो वही समानà¥à¤ªà¤¾à¤¤à¤¿à¤• सरà¥à¤µà¤¾à¤‚ग सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ निगेटिव ऊरà¥à¤œà¤¾ निसृत करती है, और आराधक की पूजा उसी तरह निषà¥à¤«à¤² हो जाती है जिस तरह खंडित पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ की पूजा करने पर। जिन विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ाचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इस बात पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ न हो तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अधिक मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाले मंदिर की वेदी पर ऊरà¥à¤œà¤¾ नाप कर देख लेना चाहिà¤, जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो जायेगा। आपको अधिक कà¥à¤› नहीं करना है, बाधिक-अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पूरà¥à¤£ मूरà¥à¤¤à¤¿ नहीं दिख रही हो उसकी ऊरà¥à¤œà¤¾ डाउजिंग से देख लें, फिर उसी मूरà¥à¤¤à¤¿ की बाधा हटाकर अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आगे जो अनà¥à¤¯ सिंहासन या यंतà¥à¤° आदि रखे हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किनारे करके अब पà¥à¤¨à¤ƒ उसी मूरà¥à¤¤à¤¿ की ऊरà¥à¤œà¤¾ देखें, अब उस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ में पॉजिटिव ऊरà¥à¤œà¤¾ मिलेगी।
हमारा कथन है कि अनà¥à¤¯ मतों में तो à¤à¤• मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¤• ही देव का होता है, किनà¥à¤¤à¥ जैन धरà¥à¤®à¤¾à¤µà¤²à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के यहाठà¤à¤• ही वेदी पर सà¤à¥€ देवों-तीरà¥à¤¥à¤‚करों की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है। केवल चौबीस तीरà¥à¤¥à¤‚कर नहीं, à¤à¥‚त, à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯, वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨, 720, पंचमेरà¥, कृतà¥à¤¤à¤¿à¤®-अकृतà¥à¤¤à¤¿à¤®, सहसà¥à¤°à¤•ूट आदि। इस तरह हजारों हजार पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं की अवधारणा है। फिर उनके परिकर à¤à¥€à¥¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¥€ उपासक, मंदिर-पदाधिकारी आदि à¤à¤• वेदी से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं के दरà¥à¤¶à¤¨-पूजन का लाठकराने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखते हैं, किनà¥à¤¤à¥ अनजाने में कà¤à¥€ कà¤à¥€ उसके परिणाम उलà¥à¤Ÿà¥‡ ही मिलते हैं। यही कारण है कि à¤à¤¸à¥‡ उतà¥à¤¸à¤¹à¥€ पदाधिकारियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कितना ही सेवा à¤à¤¾à¤µ से कारà¥à¤¯ किया जाता है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आलेचना और अपयश ही मिलता है। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के पूजाघर में अवà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿-यंतà¥à¤° आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने, लौकिक देवी-देवताओं, पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को ऊपर और पारलौकिक देवी-देवताओं के चितà¥à¤° उनसे नीचे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने से गृहसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ और गृहवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः अपने आराधना सà¥à¤¥à¤² अवशà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ करना चाहिà¤à¥¤
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