समाचार ब्यूरो
14/05/2022  :  19:41 HH:MM
मुंडका अग्निकांड की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए जांचः बिधूड़ी
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घटना के बाद उठे सवालों का जवाब दे केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल सरकार से मांग की है कि मुंडका अग्निकांड की हाईकोर्ट के किसी सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच कराई जाए। उन्होंने फायर ब्रिगेड की गाड़ी देरी से पहुंचने, बिल्डिंग के फायर क्लीयरेंस और अन्य नियमों के उल्लंघन की भी जांच की मांग की है। उन्होंने सभी मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए की मदद देने और परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है। नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने प्रेस कांफ्रेंस में खासतौर पर दिल्ली सरकार के अधिकारियों और फायर विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए। प्रेस वार्ता में दिल्ली प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष श्री राजन तिवारी एवं प्रदेश भाजपा मीडिया सह-प्रमुख श्री हरिहर रघुवंशी भी उपस्थित थे। श्री बिधूड़ी ने कहा कि इस बात की भी जांच की जानी चाहिए की फायर ब्रिगेड देर से क्यों पहुंची। घटना की सूचना 4ः40 बजे दे दी गई थी और कैट्स एम्बुलेंस को सूचना 4ः48 बजे मिली। लेकिन उसके बाद वहां मौजूद लोगों का कहना है कि फायर ब्रिगेड एक घंटा देरी से आई। यहां तक कि पुलिस को रेस्क्यू ऑपरेशन स्थानीय लोगों की मदद से चलाना पड़ा। जब तक फायर ब्रिगेड आई, आग भयंकर रूप धारण कर चुकी थी। उन्होंने कहा कि फायर ब्रिगेड के पास आग में फंसे लोगों को निकालने के लिए पर्याप्त हाईड्रोलिक क्रेन नहीं थीं। आखिर दिल्ली सरकार ने फायर ब्रिगेड को आधुनिक बनाने के लिए क्या कदम उठाए हैं? उन्होंने कहा कि क्या इस बिल्डिंग के पास फायर क्लीयरेंस था? अगर नहीं था तो फायर विभाग ने इस बिल्डिंग के खिलाफ क्या कार्रवाई की थी? क्या कोई नोटिस जारी किया था? इस बिल्डिंग में आने-जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था। आग लगने पर लोगों को निकालने का कोई रास्ता नहीं मिला। फायर विभाग ने इसके लिए क्या कोई कार्रवाई की थी? दिल्ली सरकार का दावा है कि आजकल 24 घंटे बिजली उपलब्ध है तो फिर इस बिल्डिंग में जेनरेटर की क्या जरूरत थी? जेनरेटर सीढ़ियों के नीचे रखा हुआ था। श्री बिधूड़ी ने कहा कि दो दमकलकर्मी भी इस घटना में मारे गए हैं और मृतकों की संख्या 30 मानी जा रही है लेकिन जो 29 लोग लापता हैं, उनके बारे में सरकार तुरंत स्पष्टीकरण दे। ऐसी दुखद घटनाएं दिल्ली के माथे पर कलंक हैं। यह हादसा उपहार कांड जैसा ही है और इससे साफ है कि उपहार कांड के बाद जो सिफारिशें की गई थीं, उन पर अमल नहीं किया गया। अब ऐसे कदम उठाने जरूरी हैं कि भविष्य में ऐसा हादसा फिर न हो जिससे लोगों को इस तरह मौत के आगोश में समाना न पड़े।






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