समाचार ब्यूरो
01/05/2022  :  17:05 HH:MM
नदियों के साथ तालाबों, पोखर, वाबड़ियों व अन्य जल कुंडों का संरक्षण जरूरी
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देश की राजधानी दिल्ली का दिल कहे जाने वाले चाँदनी चैक स्थित चरती लाल गोयल हेरिटेज पार्क में प्रतष्ठित सामाजिक संस्था सम्पूर्णा के तत्वाधान में 30 अप्रैल को जल साक्षरता अभियान के अंतर्गत ‘जल संवाद कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता देश के जाने माने प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जल पुरूष (वाटर मैन) डाॅ. राजेंद्र सिंह एवं जल आयोग के सलाहाकार श्री दीपक पर्वतियार शामिल हुए। सम्पूर्णा की संस्थापिका अध्यक्षा डाॅ. शोभा विजेन्द्र द्वारा अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर एवं शाॅल ओढ़ाकर अतिथियों का स्वागत किया। नारी की सुरक्षा हो जल का संरक्षण हो, के उच्चारण के साथ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर जल संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जल पुरुष डा राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सदैव नदियों, तालाबों, पोखर और वाबड़ियों का उपहार दिया। अगर हमने आज इन्हें सहेजने, संवारने की दिशा में कार्य नहीं किया तो हमारी भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। जब तक हमने पानी, नारी, नदी को नारायण के रूप में सम्मान दिया, तब तक हम पूरी तरह से सुरक्षित थे। लेकिन आज हम पानी का उपयोग करने के बजाए उसका दुरुपयोग करने में लग गए हैं। हम नदियों का निरंतर दोहन करते जा रहे हैं। जिसका परिणाम है कि नदियां नालों में तब्दील होती जा रही हैं। जबकि जरूरत नदियों को नालों से मुक्त करने की है। धरती माँ की हरियाली को बढ़ाने के लिए नदियों के साथ पोखर, तालाब, वाबड़ियों व अन्य जल कुंडों को भी संरक्षित किए जाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नदी के पुनर्जन्म का काम महज नदी का काम नहीं है, बल्कि यह लोगों के पुनर्जीवन का सवाल है। ये तभी संभव है जब हम प्रकृति को अपने जीवन से जोड़ेंगे। हमें, हमारी सोच को प्रकृति के साथ जोड़ना होगा। हमें लोगों को मौसम पर आश्रित बनने से रोकना होगा। मुझे सम्पूर्णा जल मित्रों और उपस्थित लोगों से अपेक्षा है, कि नदियों को नदी बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें। पानी की कीमत को समझें और दूसरों को भी समझाने का भरपूर प्रयास करें। जल संरक्षण और हरियाली से ही धरती पर जीवन संभव है। उन्होंने सम्पूर्णा के इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रसंशा की। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष श्री विजय गोयल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें जल सारक्षता को बढ़ावा देना होगा। हर स्तर पर जल संरक्षण को अनिवार्य किया जाना चाहिए। ‘जल, पोखर और तालाब को जानों’ जैसे विषयों पर कार्यक्रम होने चाहिएं। जल है तो कल है, साकार करने के लिए लोगों को जल के व्यावहारिक अभ्यास के लिए जागरूक करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। शिक्षा के साथ-साथ पर्यवरण एवं जल संरक्षण के लिए बच्चों को जागरूक करने की जरूरत पर भी जोर दिया। दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं रोहिणी के लोकप्रिय विधायक श्री विजेन्द्र गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मानवता के अस्तित्व के लिए जल अति आवश्यक है। पानी केवल पानी ही नहीं बल्कि हमारे जीवन की प्रतिष्ठा है। उन्होंने कहा कि जल एवं मिट्टी को हम मशीनों से तैयार नहीं कर सकते। ये प्रकृति की देन है जिसे हमें संजोकर रखना चाहिए। जल संरक्षण और हरियाली से ही मानव जीवन संभव है। हमें अपने घरों से ही हो रही पानी की बर्बादी को रोकने का हर संभव प्रयास करना होगा। आज जल संरक्षण की महत्ता को समझाने की दिशा में समाज के सभी वर्गों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने दिल्ली सरकार से भी अनुरोध किया कि जल संरक्षण पर कार्य करने के लिए आवासीय कल्याण समितियों, एनजीओ तथा अन्य संस्थाओं को धनराशि उपलब्ध कराए तथा साथ ही साथ जल मित्रों के प्रोत्साहन की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। जल आयोग के सलाहाकार श्री दीपक पर्वतियार ने भी जल संरक्षण पर अपने विचार साझा किए। सम्पूर्णा की संस्थापिका अध्यक्षा डाॅ. शोभा विजेन्द्र ने अपने संवाद में बताया कि जल वैज्ञानिकों के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2030 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जल विहीन हो जाएगी। दिल्ली में परंपरागत रूप से पाए जाने वाले तलाब, ताल और वाबड़ियां प्रायः लुप्त हो गए हैं। मुख्य शहर को यदि छोड़ भी दें तो दिल्ली के गांवों में भी आज तालाब, ताल और बावड़ियां उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि वैटलैंड अथाॅरिटी की रिपोर्ट के अनुसार 252 जल स्त्रोत आज पूरी तरह से अतिक्रमण का शिकार हो गए हैं। आज स्थिति बहुत गंभीर है। ऐेसे में नारी और प्रकृति के सशक्तिकरण और संरक्षण के लिए प्रयास करने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने जल संवाद में अपना कीमती समय निकालकर आए सभी वक्ताओं, गणमान्य अतिथियों और देश के विभिन्न प्रदेशों से आए जल मित्रों का आभार व्यक्त किया। मौके पर जल संरक्षण से जुड़ी एक लघुनाटिका की जल मित्रों ने प्रस्तुति दी। देश के विभिन्न प्रांतों के 750 जिलों से आए सभी जल मित्रों ने इस जल संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर जल मित्रों के साथ-साथ उपस्थित जनसमूह ने सम्पूर्णा जल प्रतिज्ञा के रूप में मृत प्रायः होती मिट्टी की नमी पुनः लौटाने का संकल्प लिया। अंत में सभी ने नारी का संरक्षण हो, जल का संचयन हो, के नारे लगाए।






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