समाचार ब्यूरो
27/04/2022  :  19:46 HH:MM
दिल्ली के क्लाउड किचन ऑपरेटरों और फूड डिलीवरी एग्रीगेटर्स ने क्लाउड किचन नीति विकसित करने के केजरीवाल सरकार के कदम का स्वागत किया
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दिल्ली के डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसी) और उद्योग विभाग ने क्लाउड किचन और फूड डिलीवरी एग्रीगेटर्स के प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार शाम को क्लाउड किचन के विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्णय का प्रतिभागियों ने स्वागत किया और क्लाउड किचन को एक उद्योग के रूप में मान्यता देने और एक समर्पित 'क्लाउड किचन पॉलिसी' लाने के लिए कई व्यावहारिक इनपुट दिए। क्लाउड किचन को बढ़ावा देने की योजना को केजरीवाल सरकार के रोजगार-केंद्रित 'रोजगार बजट' 2022-23 में शामिल किया था। इसके जरिए 5 वर्षों में दिल्ली में 20 लाख नौकरियां पैदा करने की योजना है। इस चर्चा का उद्देश्य दिल्ली के क्लाउड किचन ऑपरेटरों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों को समझना था। जिससे की दिल्ली सरकार नियमों में ढील देकर, औद्योगिक क्षेत्रों में क्लस्टर स्थापित करके और श्रमिकों को कुशल बनाकर इस क्षेत्र के विकास और संबंधित नौकरियों को बढ़ावा देने में मदद कर सके। डीडीसी के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इसमें उद्योग सचिव निहारिका राय, जीएसटी विशेष आयुक्त प्रिंस धवन, डीएसआईआईडीसी के कार्यकारी निदेशक अमन गुप्ता शामिल हुए। इसके अलावा स्टेकहोल्डर्स की तरफ से नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया भारत, जोमेटो, रेबेल फूड्स, इनोकी हॉस्पिटैलिटी, रोलिंग प्लेट, एनवाईसी पाई, नोमेड पिज्जा सहित विभिन्न प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए डीडीसी के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह ने कहा कि दिल्ली सरकार, क्लाउड किचन के उद्योग के रूप में विकसित होने को लेकर बहुत आशान्वित है। क्योंकि इसका मॉडल कम जोखिम वाला, लागत प्रभावी है। इसके अलावा फायदा भी काफी ज्यादा है। हम क्लाउड किचन उद्योग की समृद्धि में पूरे शहर की समृद्धि देखते हैं। सरकारी दखल के बिना भी यह क्षेत्र कम समय में एक विशाल उद्योग बनने में कामयाब रहा है। कई लोगों को रोजगार प्रदान किया और अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है। जब सरकार और उद्योग से जुड़े लोग सहयोग करेंगे, तो इस क्षेत्र में अभूतपूर्व उछाल देखा जा सकता है। हम ऑपरेटरों के लिए पूरी प्रक्रिया को आसान बनाना चाहते हैं, जिसमें किराए से लेकर लाइसेंस देने और कुशल श्रमिक प्रदान करने तक शामिल है। रिबेल फूड्स के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट संदीप कुमार शाह ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी राज्य सरकार ने क्लाउड किचन को खाद्य और पेय उद्योग में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं के रूप में मान्यता दी है। हम वास्तव में इस क्षेत्र के लिए संभावित चुनौतियों की पहचान करने के लिए दिल्ली सरकार के प्रयासों की सराहना करते हैं, जिससे सरकार इस क्षेत्र के विस्तार को सक्षम करने में मदद कर सकती है। डीडीसी ने औद्योगिक क्षेत्रों में दिल्ली सरकार द्वारा क्लाउड किचन क्लस्टर बनाने का विचार रखा। क्लाउड किचन क्लस्टर की स्थापना से ऑपरेटरों, एग्रीगेटर्स और उपभोक्ताओं को कई लाभ मिल सकते हैं। इस तरह के क्लस्टर औद्योगिक क्षेत्रों में सस्ती बिजली टैरिफ और डाइन-इन नियमों से संभावित छूट प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा इनकी स्थापना के लिए भूमि उपयोग में परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी, इसलिए उन्हें कन्वर्जन शुल्क से भी छूट दी जा सकती है। इस तरह के क्लस्टर बिजली कनेक्शन, पीएनजी कनेक्शन, अपशिष्ट पदार्थों के शोधन, साझा शीत भंडारण, पार्किंग स्थान आदि सुविधाओं से लैस होंगे, जो कि क्लाउड किचन स्थापित करने की प्रक्रिया को काफी आसान बना सकते हैं। स्टेकहोल्डर्स ने इस पहल का स्वागत किया और सुझाव दिया कि इस तरह के औद्योगिक क्षेत्रों की पहचान की जाए जहां नियमित बिजली आपूर्ति होती है और आवासीय क्षेत्रों से दूरी 7 किमी से अधिक ना हो। उद्योग सचिव-कम-आयुक्त निहारिका राय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने रोजगार पैदा करने के लिए और अधिक क्लाउड किचन स्थापित करने में मदद करने का प्रस्ताव दिया है। क्योंकि 200 वर्ग फुट का क्लाउड किचन सीधे तौर पर औसतन 10 लोगों को रोजगार देता है और साथ ही साथ अप्रत्यक्ष तौर पर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देता है। उच्च ईबीआईटीडीए मार्जिन का मतलब यह भी है कि ऑपरेटर अपने कर्मचारियों को बेहतर वेतन के साथ मुआवजा दे सकते हैं। स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेंट ने औद्योगिक क्षेत्रों में साझा क्लाउड किचन स्पेस को इस तरह से चिह्नित करने के महत्व पर जोर दिया, जिससे वहां न्यूनतम लागत पर बुनियादी ढांचा और पानी-बिजली कनेक्शन मिल सके और आवासीय क्षेत्रों से व्यावहारिक दूरी पर हों। उद्योग विभाग ने सहयोग जारी रखने के लिए स्टेकहोल्डर्स से नीतिगत इनपुट के लिखित में भी सुझाव मांगे। जीएसटी के विशेष आयुक्त प्रिंस धवन ने कहा कि दिल्ली सरकार खुद से जुड़ी उन सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है जो क्लाउड किचन सेगमेंट के विकास को रोकते हैं। हम क्लाउड किचन को रेस्तरां और टेक-अवे से अलग अपने आप में एक सेक्टर के रूप में देखना चाहते हैं। इनके लिए नियमों को आसान बनाया जाएगा और प्लग-एंड-प्ले सुविधा प्रदान की जाएंगी। जस्मीन शाह ने कहा कि क्लाउड किचन चलाने में शामिल नियामक प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाने से वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने में पारदर्शिता और प्रक्रियात्मक देरी में कमी लाने में मदद मिलेगी। क्लाउड किचनों पर नियामक और अनुपालन बोझ को क कामकाज के मॉडल के अनुसार सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं के लिए व्यर्थ के नियमों को दूर किया जा सके, साथ ही इस क्षेत्र में नए प्लेयर्स के लिए बाधाओं को भी कम किया जा सके। हम स्टेकहोल्डर्स के सहयोग से एक अत्याधुनिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी बनाना चाहते हैं जो क्लाउड किचन सेगमेंट की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने वाले कौशल को प्रदान कर सकें। इस क्षेत्र के लिए नियमों को आसान बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए एनोकी हॉस्पिटैलिटी के अध्यक्ष पोरस अरोड़ा ने कहा कि लोग क्लाउड किचन खोल रहे हैं, क्योंकि इसके लिए कम बजट की आवश्यकता होती है। इन लाइसेंसों को प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है और प्रक्रिया लंबी भी होती है। क्लाउड किचन चलाने के लिए दिल्ली पुलिस से लाइसेंस की आवश्यकता के बारे में रिबेल फूड्स के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट संदीप कुमार शाह ने कहा कि पुलिस से लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता एक 'ईटिंग हाउस' चलाने के लिए निर्धारित की गई थी। लेकिन चूंकि क्लाउड किचन में ग्राहकों का आना-जाना नहीं होता है। इसलिए सार्वजनिक उपद्रव और उसके बाद पुलिस की आवश्यकता नहीं होती है। एनआरएआई के महासचिव प्रकुल कुमार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र और गुजरात ने रेस्तरां शुरू करने के लिए पुलिस लाइसेंस प्राप्त करने में छूट देने के लिए कानूनों में संशोधन किया है। सैंडविच बेचने के लिए हमें दिल्ली पुलिस से लाइसेंस की आवश्यकता क्यों है? जब कानून और व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है तब पुलिस के पास किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने की शक्ति होगी। इसके अलावा दिल्ली पुलिस के लाइसेंस के बिना दिल्ली के अधिकांश रेस्तरां का संचालन हो रहा है। फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (एफबीओ) द्वारा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से आवश्यक स्वास्थ्य और व्यापार लाइसेंस पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों ने कहा कि यह दोहराव है क्योंकि यह एफएसएसएआई लाइसेंस के समान उद्देश्य को पूरा करता है। यानी स्वास्थ्य के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए और स्वच्छता मानकों को तय करता है। एनआरएआई के महासचिव प्रकुल कुमार ने कहा कि एफएसएसएआई ने सितंबर 2020 में दिल्ली में विभिन्न नगर निगमों को लिखे अपने पत्र में कहा था कि नगरपालिका कार्यालयों द्वारा अलग से कोई खाद्य लाइसेंस जारी नहीं किया जाना है। इसके बावजूद यह प्रक्रिया नहीं बदली है। रिबेल फूड्स के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट संदीप कुमार शाह ने कहा कि दिल्ली फायर सर्विस क्लाउड किचन के लिए नियमन मानदंडों को स्पष्ट करने के लिए एक अधिसूचना जारी करे। उन्होंने कहा, “250 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाले टेक-अवे रेस्तरां के लिए फायर एनओसी की आवश्यकता लागू नहीं होती है। लेकिन चूंकि नियम स्पष्ट रूप से 'क्लाउड किचन' को निर्दिष्ट नहीं करते हैं। जिसकी वजह से अन्य कार्यालयों को शोषण की छूट देते हैं। एनोकी हॉस्पिटैलिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वरुण मलिक ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना है, क्योंकि बड़ी संख्या में कर्मचारी नौकरी छोड़ते हैं। डीडीसी दिल्ली ने दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (डीएसईयू) के साथ साझेदारी में शॉर्ट-टर्म कोर्स/प्रशिक्षुता कार्यक्रमों के माध्यम से क्लाउड किचन वर्कफोर्स के कौशल में सहायता की संभावना का भी पता लगाया है। कई प्रतिभागियों ने डीएसईयू के साथ साझेदारी करने और कर्मचारियों को नौकरी पर रखने की मांग की। कुशल श्रमिक खोजने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, स्टेकहोल्डर्स ने 'रोजगार बाजार' का उपयोग करने की सलाह भी दी।






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