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सीतामढ़ी 1857 कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के महानायक वीर कà¥à¤µà¤‚र सिंह की जयंती के अवसर पर नगरपालिका सà¥à¤•ूल के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में विजयोतà¥à¤¸à¤µ दिवस के रूप में मनायी गई ।बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और शिकà¥à¤·à¤•ों ने पà¥à¤·à¥à¤ª अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µà¤• शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि दी ।इस अवसर पर शिकà¥à¤·à¤• नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द सिंह ने कहा कि à¤à¤• बिहारी होने के नाते हमें अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये कारà¥à¤¯à¥‹ पर गरà¥à¤µ की अनà¥à¤à¥‚ति होती है जब वीर कà¥à¤‚वर की चरà¥à¤šà¤¾ लबों पर और कृतितà¥à¤µ की शोर जेहन में होती है ।उनके अंदाज और जोश में à¤à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ निहित है कि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उमà¥à¤° से à¤à¤²à¥‡ ही बà¥à¤¢à¤¾ हो जाये अगर सोंच जवानी वाली हो तो कà¥à¤› à¤à¥€ फतेह किया जा सकता है ।यह बात हमारे महानायक पर सोलह आने सही साबित होती है ।इस अवसर पर शिकà¥à¤·à¤•ा पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€,बीणा कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, अलका कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, सà¥à¤¨à¤¯à¤¨à¤¾,पूनम कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, अंजू रानी, अंजूमन बानो, शोà¤à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, किरण कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€, रेखा जैन, कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ रतà¥à¤¨à¤¾, अनà¥à¤¦à¤²à¥€à¤¬ जहाà¤, जैनब,शà¥à¤à¤® कà¥à¤®à¤¾à¤°,लालबाबू कामत सहीत पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ शिकà¥à¤·à¤• व सैकडों बचà¥à¤šà¥‡ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे ।
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