समाचार ब्यूरो
13/04/2022  :  17:40 HH:MM
कुरआन और उसके मानने वालों को दुनिया की कोई ताक़त नुकसान नहीं पहुंचा सकती
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कुरआन अल्लाह का कलाम है , अल्लाह ने खुद इसकी हिफाज़त का वादा किया है, साढ़े चौदह सौ साल से कुरआन में एक बिन्दी और एक शब्द का भी परिवर्तन नहीं हो सका और ना क़यामत तक हो सकेगा। आज अगर हम सही अर्थां में कुरआन से अपना रिश्ता जोड़ ले तो हम भी उसी तरह महफूज़ हो जायेंगे। कुरआन और कुरआन को मानने वाले हमेशा रहेंगे, दुनिया की कोई ताक़त हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकती, अगर नुकसान पहुंचेगा या मौजूदा समय में जहां नुकसान पहुंच रहा है उसकी बुनियादी वजह यही है कि हमने कुरआन से अपना रिश्ता कमज़ोर कर लिया। आज भी अगर हम अपने आपको कुरआन से जोड़ लें तो अल्लाह ने कहा है कि हमने इसको उतारा है और हम ही इसकी हिफाज़त करेंगे, इसलिय अब जो कुरआन से अपने आपको जोड़ लेगा अल्लाह की हिफाज़त का वादा उसके साथ भी हो जायेगा। अगर हम चाहते हैं कि हम, हमारे घर वाले, बीवी, बच्चो, मां-बाप, निकट सम्बन्धी, कारोबार सुरक्षित रहे तो अपने को कुरआन और उसकी तालीमात और हुक्मों स े जोड़ लें। इन विचारों को मौलाना मुबीनुल हक़ चौक, मक्कू शहीद का भट्ठा, अख्लाक़ नगर गंगापार समेत अन्य स्थानों पर तरावही में कुरआन का दौर मुकम्मल होने पर मुख्य अतिथि के रूप में तशरीफ लाये जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने व्यक्त करते हुए कहा कि कुरआन में अल्लाह ने फरमाया कि दीन ए इस्लाम मुकम्मल हो गया और अल्लाह ने बतौर दीन हमारे लिये पसन्द कर लिया, अब दीन में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। जब यह बात यहूदियां को मालूम हुई तो उन्होंने यह तक कहा कि अगर यह कुरआन हमें मिल जाता तो उस दिन को हम ईद का दिन मिला लेते। कुरआन अल्लाह का कलाम है, यह अल्लाह की विशेषता है। जहां अल्लाह के यह बोल बोले जायें यानि जहां कुरआन की तिलावत की जायेगी वहां शैतान नहीं आ सकता, शैतान नहीं आयेगा तो बे बरकती नहीं होगी, किसी तरह की परेशानी नहीं आयेगी। मौलाना ने कहा कि कुरआन हिदायत की किताब है, दुनिया में रहकर कैसे ज़िंदगी गुज़ारना है यह हमें कुरआन में बताया गया है। यह हमारे ऊपर अल्लाह का एहसान है कि अगर हम बग़ैर समझे भी कुरआन को पढ़ेंगे तो अल्लाह हमें एक एक शब्द पर दस नेकियां देने को तैयार हैं , रमज़ान में सत्तर गुना, सात सौ गुना और बाक़ी अल्लाह रहमत जितनी चाहे उतने गुने तक सवाब अता फरमाते हैं। कुरआन का रमज़ान से विशेष सम्बन्ध है, रमज़ान वह महीना जिसमें अल्लाह ने कुरआन उतारा। दुनिया में तो कुरआन थोड़ा-थोड़ा उतरा लेकिन अल्लाह ने लौहे महफूज़ में इसी महीने की शबे क़द्र में नाज़िल किया था। हम रमज़ान की तरावीह में कुरआन सुनते हैं, जो लोग साल भर कुरआन पढ़ने का मौक़ा नहीं निकाल पाते वह इस महीने मे 2-3 बार कुरआन मुकम्मल कर लेते हैं। रमज़ान के इस पवित्र महीने में सुबह शाम अल्लाह की रहमतें बारिश की तरह बरस रही हैं, नफिल का सवाब फर्ज़ के बराबर, फर्ज़ का सवाब सत्तर फर्ज़ के बराबर कर दिया गया, रोज़ाना लाखों करोड़ों लोगों की अल्लाह मग़फिरत फरमा रहे हैं। रमज़ान और कुरआन जैसी अज़ीम नेमत हमें मिली हैं, दुनिया के दूसरे लोग इस नेमत से महरूम हैं, यही वजह है कि आज ही नहीं बल्कि हमेशा से सारी दुनिया हमारे ऊपर नज़रें जमाये बैठी है, इसलिये हमारी यह ज़िम्मेदारी है कि हम इस नेमत की क़द्र करें। मौलाना ने लोगों से साल भर कुरआन पढ़ने का वादा लिया। मौलाना ने कहा कि कुरआन का हक़ है कि इस पर ईमान लाया जाये, इसकी खूब तिलावत की जाये, इसके साथ-साथ उलमा की निगरानी में इसको समझ कर इस पर अमल किया जाये, इस अवसर पर तमाम स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।






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