समाचार ब्यूरो
10/04/2022  :  17:28 HH:MM
विश्व होम्योपैथी दिवस पर हेल्प यू ट्रस्ट ने किया निःशुल्क होम्योपैथिक कैम्प का आयोजन
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हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में Post COVID-19 Complication & Care के अंतर्गत "विश्व होम्योपैथी दिवस" के अवसर पर "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर सेक्टर - 25 स्थित कार्यालय में हुआ l शिविर का शुभारम्भ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने दीपप्रज्वलन करके किया l ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को विश्व होम्योपैथी दिवस और श्री राम नवमी की बधाई देते हुए कहा कि, दुनिया भर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है l इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है लोगों को होम्योपैथिक के प्रति जागरूक करना है l हाल के वर्षों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति तेजी से बढ़ रही है l होम्योपैथी यूनानी शब्द (homeopathy meaning) होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दुःख या बीमारी l होम्योपैथी इलाज इस विश्वास पर आधारित है कि, शरीर खुद को ठीक कर सकता है l होम्योपैथी चिकित्सा की एक प्रणाली है, जो शरीर के अपने उपचार प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करने के सिद्धांत पर आधारित है l होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को तेज करती है l वर्तमान में विश्व के 100 से अधिक देशों में होम्योपैथी से ईलाज हो रहा है l होम्योपैथी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है l ट्रस्ट द्वारा आयोजित निःशुल्क होम्योपैथिक शिविर का उद्देश्य होम्योपैथी के बारे में जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है । श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, वर्तमान में होम्योपैथी दवाएं जटिल बीमारियों जैसे स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पॉक्स, कालरा, दिमागी बुखार, गुर्दे में पथरी आदि बीमारियों से बचाव में कारगर हो रही हैं l दुनियाभर में एलोपैथी के बाद होम्योपैथी सबसे अधिक कारगर और पसंद की जानेवाली तथा प्रयोग में लायी जाने वाली चिकित्सा पद्धति है l होम्योपैथिक दवा सांस की बीमारी, पेट, त्वचा और मानसिक विकार जैसी पुरानी बीमारियों में भी प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है l जो मरीज एलोपैथी और सर्जरी के जरिये जल्दी राहत चाहते हैं, वह केवल अपना आधा जीवन ही जीते हैं, किन्तु इसके विपरीत जो मरीज स्थायी सुधार के लिए होम्योपैथी को अपनाते हैं, वे पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं l इस अवसर पर डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, वर्तमान समय में इंटरनेट का उपयोग बहुत बढ़ गया है और ऐसे में बहुत सारे लोग इंटरनेट पर जाकर होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान ले रहे हैं और इंटरनेट पर बहुत सारे लोग होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान दे भी रहे हैं l ऐसे में परेशानियां उनके साथ हो रही है जो स्वास्थ्य से पीड़ित है, क्योंकि हर मरीज इंटरनेट पर जाकर दवाई देख रहा है और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां खा रहा है l जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में दवाई एवं दवाइयों कि मात्रा का चुनाव मरीज के विचारों के आधार पर और मरीज की संवेदनशीलता के आधार पर होता है l होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में दवाइयों का चुनाव भी व्यक्ति के व्यवहार उसकी प्यास, भूख, उसकी प्रकृति (ठंडा- गर्म), उसके तौर-तरीकों को देख कर की जाती है, जो की एक ही बीमारी से पीड़ित दो व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है l जब तक डॉक्टर मरीज को देख कर उसकी हिस्ट्री नहीं ले लेते मेडिसिन नहीं दी जा सकती है । डॉ० राणा ने लोगों से अपील की है कि, सब लोग ध्यान रखें इंटरनेट से जानकारी लेना ठीक है लेकिन इंटरनेट पर देख कर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई खाना अपने ही शरीर के साथ खिलवाड़ करना है ऐसे में शरीर में बहुत सारे बुरे बदलाव भी आ सकते हैं






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