समाचार ब्यूरो
22/02/2022  :  10:35 HH:MM
लैवेंडर डोडा ब्रांड उत्पाद के रूप में नामित, डोडा भारत की बैंगनी क्रांति (अरोमा मिशन) का जन्मस्थान है : डॉ. जितेंद्र सिंह
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लैवेंडर को डोडा ब्रांड उत्पाद के रूप में नामित किया गया है जबकि किश्तवाड़ की रतले जलविद्युत परियोजना को आठ वर्षों के बाद पुनर्जीवित किया गया है।
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन और लाभार्थियों की पहचान के लिए पंचायती राज संस्थाओं को शामिल करना होगा : डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, रतले जलविद्युत परियोजना जो पहले रुकी हुई थी, उसे वर्तमान सरकार ने पुनर्जीवित किया

लैवेंडर को डोडा ब्रांड उत्पाद के रूप में नामित किया गया है जबकि किश्तवाड़ की रतले जलविद्युत परियोजना को आठ वर्षों के बाद पुनर्जीवित किया गया है।

खिलानी-.गोहा-सुधमहादेव राष्ट्रीय राजमार्ग, जो कलोटा और हम्बल को भी जोड़ता है और डोडा जिले में अगले साल की शुरुआत में राष्ट्रीय उच्च ऊंचाई वाला औषधीय पौधा भद्रवाह क्रियाशील हो जाएगा।

यह जानकारी केंद्रीय मंत्री एवं उधमपुर-कठुआ-डोडा लोकसभा क्षेत्र से सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज डोडा और किश्तवाड़ जिलों की जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।





डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बिना खिलानी-गोहा-सुधमहादेव राष्ट्रीय राजमार्ग संभव नहीं हो सकता था, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण संपर्क और रोजगार प्रदान कर रहा है। इसी तरह रतले परियोजना जो पक्कल-दुल और किरू परियोजना के साथ पूरे क्षेत्र को अतिरिक्त बिजली देने वाला बना देगी, इसको पिछली सरकार ने रोक दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप पर इसे पुनर्जीवित किया गया है।

मंत्री ने यह भी बताया कि लैवेंडर को डोडा ब्रांड उत्पाद के रूप में नामित किया गया है। उन्होंने कहा कि डोडा भारत की बैंगनी क्रांति (अरोमा मिशन) का जन्मस्थान है और कृषि-स्टार्टअप उद्यमियों और किसानों को आकर्षित करने के लिए मोदी सरकार की 'एक जिला, एक उत्पाद' पहल के तहत लैवेंडर को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसी तरह रतले परियोजना जो पक्कल-दुल और किरू परियोजना के साथ पूरे क्षेत्र को अतिरिक्त बिजली देने वाला बना देगी। इसे पिछली सरकार ने रोक दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप पर इसे पुनर्जीवित किया गया है।





डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर-आईआईआईएम का अरोमा मिशन नवोदित किसानों और कृषि विज्ञान विशेषज्ञ को आजीविका का साधन प्रदान कर रहा है और स्टार्ट-अप इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के लिए उद्यमिता की भावना को आगे ले जा रहा है।
बैंगनी क्रांति के संबंध में मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि लैवेंडर की खेती के आकर्षक पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए डोडा, जम्मू और अन्य जिलों और बाद में देश के बाकी हिस्सों में जागरूकता/लाभार्थी कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि अरोमा मिशन के तहत स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया जा सके। इससे जिला डोडा जिले की छवि भी बढ़ेगी जो कि बैंगनी क्रांति का जन्मस्थान है।

मंत्री ने यह भी कहा कि लैवेंडर उत्पादों के लिए अग्रिम और पिछड़ी शृंखला में सुधार के लिए विभिन्न पहल की जा रही हैं और विपणन के विभिन्न विकल्पों का पता लगाया जा रहा है, जिसके लिए विभिन्न उद्योग भागीदारों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है।

बैठक में डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'एक जिला, एक उत्पाद' पहल के तहत उत्पादों की ब्रांडिंग पर भी जोर दिया, ताकि जिले का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि गोहा-खिलानी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी और रोजगार प्रदान कर रही है, यह 2022-23 के शुरू में पूरी हो जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड मेडिसिनल प्लांट अगले साल मार्च में शुरू हो जाएगा। इससे जिले में जीवनयापन और आजीविका मिलने की दिशा में विकासात्मक गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए 'संसद खेल स्पर्धा' में 'एक खेल, एक जिला' पहल पर जोर दिया जाना चाहिए, ताकि इसके तहत जिले के साथ सांस्कृतिक संबंध रखने वाले और/या स्थानीय खेलों में प्रतिभा दिखाने वाले पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहित किया जा सके। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय खेल प्रतिभाओं को अब 'संसद खेल स्पर्धा' के तहत खोजा जाएगा, जिससे खिलाड़ियों को पंचायत, जिला और केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि खेल अब केवल मनोरंजन या खाली समय बिताने वाली गतिविधि नहीं रही बल्कि सक्रिय रूप से करियर के रूप में चुना जा रहा है।

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित डिजिटल स्वास्थ्य मिशन पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डोडा से शुरू किया गया 'डॉक्टर ऑन व्हील्स' विशेष रूप से अपने दूर-दराज के क्षेत्रों में नवीनतम तकनीक का उपयोग करके 'टेलीमेडिसिन' सेवाएं देने और देश के विभिन्न हिस्सों के सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों से परामर्श करने में बहुत सफल रहा है।

डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि वर्ष के हर तीसरे महीने में समन्वय बैठकें आयोजित होनी चाहिए, ताकि जिले के निर्वाचित प्रतिनिधियों से रचनात्मक जानकारी ली जा सके और कार्यान्वयन में कमियों को दूर किया जा सके।

डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि बानी-बसोहली के माध्यम से कठुआ और डोडा जिलों को जोड़ने वाली सभी मौसम में कारगर चत्तरगला सुरंग को भारत माला परियोजना चरण II के तहत शामिल किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ जिले के लिए जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक की अध्यक्षता भी की। बैठक में डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि रतले जलविद्युत परियोजना जो पूर्व की सरकारों द्वारा पिछले आठ वर्षों से रुकी हुई थी, इसे वर्तमान सरकार ने एनएचपीसी और जेकेएसपीडीसी के संयुक्त उद्यम के रूप में फिर से शुरू किया है। डॉ. सिंह ने बताया कि किश्तवाड़ 1000 मेगावॉट की पक्कल दुल जलविद्युत परियोजना, 624 मेगावॉट की किरू जलविद्युत परियोजना और पुनर्जीवित रतले जलविद्युत परियोजना के साथ जलविद्युत का केंद्र बनने जा रहा है, जो भविष्य में पूरे जम्मू और कश्मीर को अतिरिक्त बिजली देने वाला बना देगा।

डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि उड़ान योजना के तहत किश्तवाड़ जिले में हवाई पट्टी का निर्माण किया जाएगा, जिले में पैडर जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज स्थापित कर आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया गया है।

डॉ. सिंह ने केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के कामकाज की समीक्षा करते हुए उल्लेख किया कि दिशा मंच निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्यकारिणी को व्यापक जनहित के लिए विभिन्न विकासात्मक मुद्दों पर एक साथ काम करने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत प्रभावी और अच्छी अवधारणा वाली योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं, कार्यान्वयन में कमियों या समस्याओं को सामने लाना महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर समाधान निकाला जा सके और परियोजनाएं निर्धारित समय सीमा में पूरी की सकें। दिशा की दोनों बैठकों में डोडा और किश्तवाड़ के जिला विकास आयुक्तों, डोडा और किश्तवाड़ के डीडीसी अध्यक्षों, जिला अधिकारियों, डीडीसी सदस्यों, बीडीसी सदस्यों और जिलों के सरपंचों और पंचों ने भाग लिया।






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