समाचार ब्यूरो
17/01/2022  :  15:31 HH:MM
उत्तर प्रदेश के चुनावी मौसम में नेताओ में राजनीति पार्टी बदलने की लगी है होड़
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इन दिनों आम जनता हाड़ कप कपाने वाली इस सर्दी के र्मौसम में एक ओर बेहाल है बही दुसरी ओर उत्तर प्रदेश के मंत्री विधायक व नेता जी अपने समर्थकों के साथ पार्टी बदलने में लगी हैं। इसके पीछे उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अपने वर्त्तमान के 45-50 विधायकों का टिकट काट सकती है , इसके लिए दिल्ली में योगी-शाह ने पार्टी के अध्यक्ष नड्डा के साथ गहन चिन्तन मथंनकिया है।

देश के सबसे बड़े व हिन्दी भाषी राज्य उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज गया है।दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की यूपी के आला नेताओं के साथ बैठक हुई।सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, भाजपा अपने करीब 45 वर्तमान विधायकों का टिकट काट सकती है।सूत्रों के मुताबिक ''केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि जनता सरकार के खिलाफ नही है ब्लकि स्थानीय नागरिक अपने विधायकों के तौर - तरीको के खिलाफ है।'' सूत्रों की माने तो केन्द्रीय नेतृत्व की नाराजगी व पार्टी के द्वारा कराये गये अर्न्तरिम सर्वे के मुताबिक टिकट न मिलने के डर से ऐसे विधायक और नेता विधान सभा के चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ रहे हैं।आपको बता दें कि भाजपा जल्द ही पहले व दूसरे चरण के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान पार्टी के द्वारा आज कर दी गई है। जिस में 20 विधायको के टिकट को काट कर 21 नये उम्मीदवारों को टिकट की घोषणा कर दी गई है। मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके परम्परा गत शीट गौरखपुर से चुनाव लड़ाने की घोषणा से अयोध्या व मथुरा या राम या कृष्ण की भुमि से योगी आदित्यनाथ के से चुनाव लडने की अटकलों पर विराम लग गयी है ।यूपी विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा की बैठक का कई दौर बैठक प्रदेश के प्रभारी व अमित शाह और योगी की उपस्थिति में हुई थी ।

यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उम्मीदवारों के नामों को केंद्रीय चुनाव समिति में अंतिम रूप देने से पहले भाजपा के शीर्ष नेताओं की मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में एक बैठक हुई थी ।इनके अलावा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित अन्य प्रमुख नेता भी कई दोर केबैठक में शामिल हुए।दो दिनो भाजपा के केंद्रीय नेत्तृत्व के मैराथन बैठक जिसमे प्रधान मंत्री स्वंय उपस्थित रहे।विश्वनीय सुत्रों की माने तो भाजपा मंत्री / विधायको का पार्टी छोड़ कर सपा व अन्य राजनीतिक दलो में शामिल होना पार्टी के नेताओं व शीर्ष नेतृत्व के लिए इन दिनो सर दर्द बना हुआ है।इन नेताओ को मनाने का असफल प्रयास भी किया गया।पार्टी के रणनीतिकारो ने पार्टी नें उत्तर प्रदेश में वर्तमान के करीब 150 विधायको पार्टी का टिकट नही देने का मन बनाया हुआ था जिनकी भनक पार्टी के दुसरे खेमें को लग गई थी।मुझे यहाँ पर एक हिन्दी की महसूर कहावत याद आ रही है चौबे जी तो निकले थे छबे बनने निकले थे लेकिन दुबे बन कर लौटे!पार्टी के आलाकमान वर्तमान विधायको पर कोई गाज गिराते इसके पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को पछाड़ते हुए।भाजपा को तिलांजलि देते हुए सबसे ना चौकाया ब्लकि पार्टी व शीर्ष नेतृत्व को सबक सिखाने व उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में हुंकार भरने लगी है।भाजपा के बागी नेताओं ने सपा के युवा व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की साईकिल पर सवार होकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया इतिहास लिखने का ना केवल मन बनाया है इस सरकारी शक्तियो का प्रयोग करते गिरफ्तारी का वारेन्ट 'जाँच ऐजेन्सियों की तलवार लटकी है।दोनो दलो के बीच ब्यानबाजी तेज हो गई है । सॉप व नेवले का खेल में जनता मुर्क दर्शक बनी है।






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