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ष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, भारत सरकार श्री पशुपति कुमार पारस ने संपूर्ण क्रांति के महानायक जय प्रकाश नारायण के चरणों में नमन करते हुए कहा कि निरकुंश कांग्रेस सरकार के देश को गद्दी से उखाड़ फेंकनें का 5 जून 1975 को बिहार से इसकी शुरूआत जयप्रकाश जी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा थोपा गया इमरजेन्सी कानून के खिलाफ सम्पूर्ण क्रांति का बिगुल पटना के गाँधी मैदान से शुरू हुआ और इसकी चिंगारी पूरे देश में फैल गई।
आगे श्री पारस ने कहा कि सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन बिहार के साथ पूरे भारत में फैले भ्रष्टाचार मिटाना बेरोजगारी दूर करना शिक्षा में क्रांति लाना सम्पूर्ण व्यवस्था बदलना और इंदिरा सरकार को सत्ता से बेसत्ता करना मुख्य उद्येश्य था। आंदोलनकारियों को इंदिरा सरकार ने दबाने के तरह-तरह के हथकण्डा अपनाना शुरू किया तथा इस आंदोलन से जुड़े नेताआं को नजरबंद कर जेल के सलाखों में डाल दिया जाता था। नेताओं पर कांग्रेस सरकार ने जुल्म ढाहने के साथ-साथ देश के चौथे स्तंभ मीडिया पर भी अंकुश लगाने का काम शुरू कर दिया, इतने जुल्म के बाद जयप्रकाश जी के बहुत संख्या में अनगिनत अनुयायी हुए जिसमें पद्म भूषण रामविलास पासवान, लालू यादव,जार्ज फ़र्नान्डिस, शरद यादव, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह के अलावे बहुत से लोग थे।
सम्पूर्ण क्रांति के माध्यम से जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सत्ता परिवर्तन हुआ, और परिवर्तन के बाद सभी नेताओं ने जयप्रकाश जी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे लेकिन जयप्रकाश जी की त्याग भावना के कारण जनता दल का गठन कर मोरारजी देसाई को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया।
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