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"राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में उर्दू दूसरी सरकारी ज़बान है लेकिन जब से प्रदेश में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, इस ज़बान को ख़त्म करने की एक मुनज़्ज़म साज़िश की जा रही है।" यह बात यहाँ आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन दिल्ली के लोकप्रिय अध्यक्ष श्री कलीमुल हफ़ीज़ ने कही। जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि हालांकि अल्पसंख्यकों बतौर ख़ास मुसलामानों से सम्बंधित जो भी दिल्ली में इदारे हैं उनको बेअसर और बेमक़सद करने की मुहिम चलाई जा रही है लेकिन दिल्ली उर्दू अकादमी सबसे ज़्यादा निशाने पर है क्यूंकि इस इदारे का संबंध प्रदेश के पढ़े लिखे लोगों, बुद्धजीवियों, साहित्यकारों, क़लमकारो और शायरों से है। कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि इस वक़्त दिल्ली उर्दू अकादमी पर सबसे ज़्यादा बड़ा ज़ुल्म और हमला यह किया गया है कि इसका चेयरमैन एक ऐसे शख़्स को बनाया गया है जो उर्दू तो दूर हिंदी भी ठीक से नहीं जानता। उन्होंने कहा कि देश की सबसे सरगर्म दिल्ली उर्दू अकादमी जिस पर न केवल दिल्ली के साहित्यकार व शायर, प्रोफेसर और बुद्धिजीवी बल्कि देश व विदेश के साहित्यकार व शायर, प्रोफेसर और बुद्धिजीवी फ़ख्र करते थे,आज इस इदारे की हालात एक बेजान इदारे की सी हो गयी है। उन्होंने कहा कि तीन दर्जन से ज़्यादा मुलाज़मीन वाली दिल्ली उर्दू अकादमी में आज तीन चार से ज़्यादा लोग भी नहीं हैं। कई बार इसकी सूचना मांग पत्र के द्वारा दिल्ली सरकार को दी गयी लेकिन आज तक इस पर कोई काम नहीं हुआ। केजरीवाल सरकार पर हमला बोलते हुए कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि दिल्ली उर्दू अकादमी के बजट का एलान तो कर दिया जाता है लेकिन ख़र्च के लिए वह सब दिया नहीं जाता। उन्होंने आगे कहा कि जो दिल्ली उर्दू अकादमी की कमिटी बनाई गयी है उनमे शामिल अक्सर मेंबर ऐसे हैं जो अपनी ज़बान तक नहीं खोल सकते। किताबों की छपाई, इनाम देने का सिलसिला भी महज़ राजनीतिक फ़ायदा हासिल करने का ज़रिया है। आम आदमी पार्टी में शामिल मुस्लिम लीडरो और विधायकों की ओर इशारा करते हुए दिल्ली मजलिस के चीफ़ ने कहा कि आख़िर मुसलामानों से वोट लेकर विधानसभा जाने वाले विधायक खामोश क्यों हैं ? अगर वो अपनी ज़बान के लिए भी ज़बान नहीं खोल सकते तो फिर इनके सरकार में होने का फ़ायदा क्या है? मिल्लत ने भाजपा के ख़िलाफ़ वोट देकर अगर आप को कामयाब किया है और केजरीवाल की सरकार बनवाई है तो फिर इससे इनको क्या मिला ?
श्री कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि अब वक़्त आ गया है कि मौक़ा परस्तों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की जाए,अपनी ज़बान, अपने इदारों की हिफाज़त की जाए। अपने गुस्से का इज़हार करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ही नहीं आम आदमी पार्टी भी मुस्लिम दुश्मन है। इसलिए मजलिस ही अब वाहिद वह सियासी प्लेटफॉर्म है जिससे हक़ व हक़ूक़ की लड़ाई लड़ी जा सकती है। अब मांगने का नहीं बल्कि अपना हक़ पूरे हक़ के साथ लेने का वक़्त है। उन्होंने कहा कि मजलिस दिल्ली बहुत तहरीक चलाने जा रही है ताकि दिल्ली उर्दू अकादमी को बचाया जा सके और इसके लिए मिल्लत ए इस्लामिया और उर्दू चाहने वालों से अपील की है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा इस तहरीक में हिस्सा लें, घरों से निकलें और अपनी ज़बान व अदब की हिफ़ाज़त करें।
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